नए अपराधिक कानून लागू, अपराध नियंत्रण के लिए सरकार का सख्त कदम
डिजिटल सिरमौर/पांवटा साहिब
देश में अपराधों की बढ़ती घटनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार ने तीन नए अपराधिक कानून लागू करने की घोषणा की है। ये कानून सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लाए गए हैं।
संगठित अपराध नियंत्रण कानून
इस कानून का उद्देश्य संगठित अपराधों जैसे मानव तस्करी, ड्रग तस्करी, और संगठित गिरोह द्वारा किए जाने वाले अन्य अपराधों पर रोक लगाना है। इसके तहत संगठित अपराध में शामिल पाए जाने पर दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी, जिसमें उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। पुलिस को संगठित अपराधियों की संपत्ति जब्त करने और उनकी गतिविधियों की निगरानी के लिए विशेष अधिकार दिए गए हैं। इस कानून के तहत गठित की गई विशेष अदालतें तेज़ गति से मामलों का निपटारा करेंगी।
साइबर अपराध कानून
डिजिटल युग में साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए इस कानून को लागू किया गया है। इसके अंतर्गत ऑनलाइन धोखाधड़ी, हैकिंग, और साइबर बुलिंग जैसे अपराधों के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक विशेष साइबर अपराध प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। डिजिटल प्लेटफार्मों पर किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक सामग्री को पोस्ट करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
महिला और बाल संरक्षण कानून
महिला और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए यह कानून लाया गया है। इसके अंतर्गत यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और बाल शोषण के मामलों में दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी। पीड़ितों के लिए न्याय प्रक्रिया को तेज करने के लिए विशेष फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन किया गया है। पुलिस को ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई करने और पीड़ितों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए विशेष निर्देश दिए गए हैं। गृह मंत्री ने इन कानूनों की घोषणा करते हुए कहा, “सरकार अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। ये नए कानून हमारे समाज को सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।”
तीन अपराधिक कानूनों के सकारात्मक पहलु
समय पर न्याय
3 साल में मिलेगा न्याय
35 सेक्शनों में टाइमलाइन
3 दिन में FIR दर्ज
यौन उत्पीड़न में 7 दिन में जाँच रिपोर्ट
पहली सुनवाई के 60 दिनों में आरोप तय
अनुपस्थिति में 90 दिनों में मुकदमा
45 दिनों में निर्णय
पुलिस जवाबदेही
सर्च और जब्ती में वीडियोग्राफी अनिवार्य
24 घंटों में मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना
राजद्रोह को हटाना
‘राजद्रोह’ जड़ से समाप्त
देश विरोधी हरकतों पर कठोर सजा
संप्रभुता के खिलाफ 7 साल या आजीवन कारावास
विक्टिम सेंट्रिक कानून
विक्टिम को बात रखने का मौका
इनफार्मेशन और क्षतिपूर्ति का अधिकार
जीरो FIR संस्थागत, कहीं भी दर्ज
मॉब लिंचिंग परिभाषित किया गया
नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान से प्रेरित हत्या/चोट,7 वर्ष की कैद
स्थायी विकलांगता – 10 वर्ष या आजीवन कारावास
तकनीक का उपयोग
विश्व की सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली
कम्प्यूटराइजेशन: पुलिस से कोर्ट तक
E-Records
जीरो FIR, ई-FIR, चार्जशीट डिजिटल
7 साल या अधिक सजा में फोरेंसिक अनिवार्य
बलात्कार पीड़िता के लिए E-बयान
नए आपराधिक कानून,छोटे अपराधों में सामुदायिक सजा,भारतीय न्याय दर्शन के अनुरूप विपक्षी दलों ने भी इन कानूनों का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि इन कानूनों का दुरुपयोग न हो और निर्दोष लोगों को परेशान न किया जाए। सामाजिक संगठनों ने भी इन कानूनों का समर्थन किया है और उम्मीद जताई है कि इससे अपराधों पर अंकुश लगेगा और समाज में सुरक्षा और शांति स्थापित होगी।