“विकास की राहें सड़कों से होकर गुजरती हैं” – ये कहावत पांवटा साहिब की ग्राम पंचायत भंगानी में अब केवल किताबों में ही सुनने को मिलती है। हकीकत यह है कि यहां जिला मार्ग का दर्जा प्राप्त सड़क खुद एक हादसा बन चुकी है। गड्ढों से पट चुकी सड़कें न केवल विकास को ठेंगा दिखा रही हैं, बल्कि स्थानीय लोगों की जान को भी जोखिम में डाल रही हैं।

स्थानीय लोगों ने अपनी समझदारी से एक अलग रास्ता ढूंढा है—उन्होंने अपने घरों को बचाने और वाहनों को खतरनाक गड्ढों से दूर रखने के लिए सड़कों पर ईंटें खड़ी कर दी हैं, ताकि वाहन दूसरी दिशा में चलें। यह नवाचार जितना असामान्य है, उतना ही दर्दनाक भी, क्योंकि यह प्रशासनिक और राजनीतिक निष्क्रियता की पोल खोलता है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यही सड़कें कभी वर्तमान विधायक सुखराम चौधरी के लिए राजनीतिक हथियार थीं। विपक्ष में रहते हुए उन्होंने इन्हीं जर्जर सड़कों पर पदयात्रा की थी, मीडिया में तस्वीरें खिंचवाई थीं, और सरकार को जमकर घेरा था। लेकिन सत्ता में आने के बाद वही आवाज अब खामोश हो गई है। जनता का कहना है कि जब नेता विपक्ष में होते हैं तो सड़क की एक-एक दरार पर रोष प्रकट करते हैं, लेकिन कुर्सी मिलने के बाद उन्हीं दरारों को अनदेखा कर देते हैं।
स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के प्रति नाराजगी जताते हुए चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही सड़क की मरम्मत का कार्य शुरू नहीं किया गया, तो वे स्वयं आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। “सड़कें हमारे लिए जीवन रेखा हैं। जब विधायक को पद चाहिए था, तब ये सड़कें उनके लिए मुद्दा थीं। अब हमारी परेशानी उनकी प्राथमिकता क्यों नहीं है?” — यह कहना है गांव के एक बुजुर्ग निवासी का।
वर्तमान में स्थानीय जनता का गुस्सा उबाल पर है। लोगों का कहना है कि जब नेता विपक्ष में होते हैं तो जनता की समस्याओं पर राजनीति करते हैं, लेकिन सत्ता में आते ही उन्हें जनता की तकलीफें दिखाई नहीं देतीं।