चिद विलास’ काव्य संग्रह का भव्य विमोचन
सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ. एन. डी. डिमरी की काव्य यात्रा को मिली नई पहचान
पांवटा प्रिंट्स के सभागार में एक भव्य साहित्यिक आयोजन के अंतर्गत राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ. एन. डी. डिमरी की काव्य पुस्तक *‘चिद विलास’* का विधिवत विमोचन किया गया। यह अवसर न केवल पांवटा क्षेत्र के लिए बल्कि समूचे हिंदी व संस्कृत साहित्य जगत के लिए एक प्रेरणादायक क्षण बन गया।

इस विशेष आयोजन में उत्तराखण्ड से पधारे ख्यातिप्राप्त साहित्यकार डॉ. कामेश्वर प्रसाद डिमरी, गीता प्रसाद शास्त्री, गुरदीप सिंह, चेतन रोहिला और अभिनव शेखर डिमरी विशेष रूप से उपस्थित रहे। सभी अतिथियों ने *‘चिद विलास’* पुस्तक को समकालीन काव्य जगत में एक नवीन ऊर्जा देने वाला महत्वपूर्ण संकलन बताया।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुई, जिसके पश्चात पुस्तक विमोचन की औपचारिकता संपन्न हुई। उपस्थित साहित्यप्रेमियों ने डॉ. डिमरी के काव्य योगदान पर प्रकाश डाला और उनकी रचनाओं को गहन आध्यात्मिक अनुभवों से परिपूर्ण बताया।
यह काव्य संग्रह भारतीय दर्शन, अध्यात्म और आत्मबोध जैसे गंभीर विषयों को सरल किंतु प्रभावशाली भाषा में प्रस्तुत करता है। डॉ. डिमरी की कविताओं में वैदिक विचारधारा और आधुनिक बोध का अनूठा समन्वय देखने को मिलता है। जीवन, मृत्यु, आत्मा, प्रकृति और ब्रह्म जैसे विषयों पर कवि की गहरी पकड़ और संवेदनशील दृष्टिकोण पुस्तक को विशेष बनाता है।
डॉ. कामेश्वर प्रसाद डिमरी ने अपने संबोधन में कहा कि “*चिद विलास केवल एक काव्य संग्रह नहीं, बल्कि एक आंतरिक यात्रा है। इसमें कवि की आत्मा, उसका चिंतन और समाज के प्रति उसकी जवाबदेही स्पष्ट दिखाई देती है।*”
वहीं गीता प्रसाद शास्त्री ने पुस्तक की भाषा और शैली की सराहना करते हुए कहा कि, “*डॉ. डिमरी की रचनाएं शास्त्रीयता और आधुनिकता का संतुलन बनाए रखती हैं।*”
चेतन रोहिला और अभिनव डिमरी ने भी काव्य संग्रह की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह पुस्तक युवाओं के लिए भी एक मार्गदर्शक साबित हो सकती है, जो साहित्य और दर्शन में रुचि रखते हैं।
अपने संबोधन में डॉ. डिमरी ने कहा, “*यह पुस्तक मेरी आध्यात्मिक यात्रा का एक पड़ाव है। मैंने जीवन में जो महसूस किया, जाना और जिया, उसी को शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। मेरा उद्देश्य पाठकों को आत्मचिंतन की ओर प्रेरित करना है।*”
इस साहित्यिक आयोजन में पांवटा साहिब के कई शिक्षक, छात्र, बुद्धिजीवी व साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन गरिमामय और शालीन वातावरण में हुआ, जिसने सभी उपस्थितजनों को साहित्य और संस्कृति के प्रति एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया।
डॉ. एन. डी. डिमरी की *‘चिद विलास’* न केवल एक काव्य संग्रह है, बल्कि यह उस आत्मिक अनुभूति की अभिव्यक्ति है, जो आज के भौतिकतावादी युग में विरल होती जा रही है। इस कृति का विमोचन साहित्य जगत में एक सार्थक कदम के रूप में देखा जा रहा है और यह आने वाले समय में निश्चित ही पाठकों को आत्मबोध की दिशा में प्रेरित करेगी।