पांवटा साहिब के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में ECCE (अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन) के तहत आउटसोर्स आधार पर प्री-प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भारी अव्यवस्था के बीच शुरू हुई। इस प्रक्रिया में शामिल होने के लिए हजारों बेरोजगार अभ्यर्थी पहुंचे, लेकिन उन्हें प्रशासनिक लापरवाही की वजह से गम्भीर परेशानियों का सामना करना पड़ा।

इस भर्ती प्रक्रिया की सूचना एक दिन पूर्व जारी विज्ञापन के माध्यम से दी गई थी। सूचना मिलते ही दूर-दराज़ से आए युवक-युवतियां सुबह से ही कतारों में खड़े हो गए। लेकिन स्थल पर न तो शीतल जल की व्यवस्था थी, न ही शेड या बैठने का कोई प्रबंध। चिलचिलाती धूप में अभ्यर्थी घंटों खड़े रहे, जिससे कई लोगों को चक्कर आ गए। कुछ महिलाएं अपने छोटे बच्चों के साथ आई थीं, जो गर्मी के चलते रोते-बिलखते नज़र आए।
स्थिति इतनी बदतर हो गई कि कई अभ्यर्थी बीच में ही प्रक्रिया छोड़कर लौट गए। भर्ती स्थल पर गिने-चुने पुलिसकर्मी व्यवस्था संभालने में जुटे रहे, लेकिन भारी भीड़ के सामने वे भी बेबस दिखाई दिए। भीड़ नियंत्रण और सुविधा व्यवस्था पूरी तरह नदारद रही।
अभ्यर्थियों का आरोप है कि प्रशासन ने बिना किसी पूर्व योजना के इस तरह की महत्त्वपूर्ण भर्ती प्रक्रिया को शुरू कर दिया, जिससे हजारों बेरोजगार युवाओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया। कुछ लोगों ने यहां तक कहा कि यह उनके साथ ‘अनादर’ की तरह व्यवहार है — न किसी को दिशा-निर्देश मिले, न कोई सहायता।
प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल
अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या प्रशासन ने आयोजन से पहले भीड़ के अनुमान और स्थल की क्षमता का आकलन किया था? क्या ऐसी भीड़भाड़ की संभावनाओं को देखते हुए स्वास्थ्य और सुरक्षा इंतज़ाम नहीं किए जा सकते थे?
जनता की मांग
अभ्यर्थियों और उनके परिजनों ने मांग की है कि ऐसी भर्तियों की प्रक्रिया पारदर्शी, व्यवस्थित और मानवीय दृष्टिकोण से की जाए। साथ ही, भर्ती प्रक्रिया को दोबारा उचित तैयारी के साथ आयोजित किया जाए ताकि कोई भी पात्र अभ्यर्थी मौका चूक न जाए।