शिरगुल मंदिर राजगढ़ के पास चट्टान में दरारों से जान माल का खतरा
एसडीएम के आदेश के बाबजूद भी अधिशासी अभियंता ने नही लिया कोई संज्ञान
पवन तोमर/राजगढ़
प्रदेश में आपदा की घड़ी में मुख्यमंत्री और सरकार दिन रात सक्रिय है और सभी अधिकारियो को भी सक्रिय रहने के आदेश तत्काल प्रभाव से किए गए है लेकिन शायद राजगढ़ में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता को किसी की भी परवाह नही है।
शिरगुल मंदिर राजगढ़ के समीप जान माल के खतरे को लेकर पिछले माह 17 जुलाई को उनके कार्यालय में मंदिर समिती द्वारा एक ज्ञापन दिया गया था और एस डी एम् राजगढ़ ने भी इस विषय में आवश्यक कार्यवाही करके एस डी एम् कार्यालय सहित मन्दिर समिती को अवगत कराने के आदेश किये थे। लेकिन लगभग 40 दिन बीत जाने के बाद भी अधिशासी अभियंता को शहर के अंदर ही मौके का दौरा करने का समय नही लगा। आपदा की घड़ी में अधिशासी अभियंता की गंभीरता का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।
अधिशासी अभियंता की कार्यप्रणाली को लेकर शिरगुल मंदिर समिती ने रोष प्रकट किया है। मंदिर समिती के अध्यक्ष सूरत सिंह, उपाध्यक्ष अरुण ठाकुर, कमल स्वरूप कमल, कैलाश वल्याट, नितिन भारद्वाज आदि ने कहा कि यह खेद का विषय है कि एसडीएम् द्वारा कहने के वावजूद भी अधिशासी अभियंता ने मौके का मुआयना नही किया जबकि अब तक इसका प्राकलन बन जाना चाहिए था। यहाँ निवास करने वाले जगमेश ठाकुर और रामानंद ठाकुर ने कहा कि उनके मकान पर भी खतरा बना हुआ है लेकिन विभाग समस्या के प्रति गंभीर नही है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष यहाँ एक गाड़ी दब गई थी और कुछ लोग बाल बाल बचे थे कुछ दिन पूर्व भी एक मकान के दो लेंटर टूट गये और अब चट्टान जगह जगह से दरक रही है। यहाँ कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है और अधिशासी अभियंता शायद जान माल के नुकसान का इन्तजार कर रहे है।
मंदिर समिती सदस्यों ने कहा कि यदि 3 दिन में विभाग द्वारा इस कार्य का प्राकलन नही बनाया गया तो लोक निर्माण मंत्री और मुख्यमंत्री को इस विषय में अवगत करवाया जायेगा। इस विषय में अधीक्षक अभियंता जिला सिरमौर अरविन्द शर्मा ने सम्पर्क करने पर कहा कि वह विभाग के अधिकारियो को मौके पर भेजकर इसकी रिपोर्ट मांगेगे।